सबसे पहले आपको बता दूँ कि “भारत में एक डॉक्टर जब तक प्रवासी-भारतीय है वह मेडिकल सेवाएं दे सकता है लेकिन भारत की नागरिकता मिल जाने के बाद उसके पास से ये अधिकार छीन लिए जाते हैं.”
आपको ताज्जुब हो रहा होगा लेकिन ये सच है!
पाकिस्तान से आये हिन्दू डॉक्टर्स के मसले को आसानी से समझाने हेतु हमने इस आर्टिकल को तीन किस्तों में बाँटा है. पहली क़िस्त में उनके भारत आगमन, नागरिकता की प्रोसेस और काम मिलने की कहानी है. दूसरी क़िस्त में उनकी मूल समस्या क्या है उसका लेखाजोखा है. और तीसरी क़िस्त में उनकी वर्तमान स्थिति, सरकार का रुख और उनकी मांग का जिक्र है.
पाकिस्तान में जिस तरह से हिंदुओं को प्रताड़ित किया जा रहा है हर महीने हजारों की संख्या में पाकिस्तानी-हिन्दुओं को भारत पलायन करना पड़ रहा है. उनका कहना है “हमें पाकिस्तान की जिंदगी से भारत की मौत प्यारी है.”
पाकिस्तान से आ रहे हिंदुओं में अधिकतर मध्यम वर्ग या निम्न-मध्यम वर्ग के लोग होते हैं जो वहाँ मजदूरी करते थे, छोटा-मोटा कोई कारोबार चलाते थे या खेती करते थे.
साथ ही एक छोटी संख्या ऊपरी वर्ग या ऊपरी मध्यम वर्ग के लोगो की भी हैं जो वहां अच्छे ख़ासे घरानो से ताल्लुख रखते थे, उनके पास पैसा था, अच्छी शिक्षा थी लेकिन फिर भी उन्हें लगता था कि “हिन्दू होने के कारण पाकिस्तान में उनका भविष्य नहीं है.” इस श्रेणी के लोगो में एक बड़ा समुदाय डॉक्टर्स का है जिन्होंने डॉक्टरी की पढ़ाई पाकिस्तान से की है, वहीं से उनको डिग्री भी मिली है लेकिन हिन्दू होने के कारण उनको पाकिस्तान छोड़कर भारत आना पड़ा.
भारतीय नागरिकता के आवेदन से पहले और बाद की कहानी!
एक पाकिस्तानी हिन्दू प्रवासी के लिए भारत नया देश है. भारत आते ही जटिल व्यवस्थाओं और कड़े कानूनों के साथ उनका स्वागत होता है.
भारत में उन्हें विषम परिस्थितियों का सामना करते हुए जबतक यहाँ की नागरिकता नहीं मिल जाती तब तक एक बेहद ही संघर्ष-पूर्ण जीवन यापन करना होता है. इनको सारी प्रोसेस के लिए सरकारी कोर्ट-कचहरियों, पुलिस स्टेशनों के धक्के खाने होते है. “कम से कम” 10 साल तक. हमारा कभी एकाद-दो बार ही कोर्ट-कचहरी या पुलिस स्टेशन जाना होता है तो हम बौरा जाते हैं, लेकिन आप सोचिये इन लोगो की हालत क्या होती होगी जिनको “कमसे कम” 10 साल तक यह वहां गए बगैर कोई चारा नहीं है.
“कम से कम” को डबल कोट्स में इसलिए रख रहा हूँ क्योंकि कई पाकिस्तानी हिन्दू प्रवासियों को भारत की नागरिकता लेने में इन लोगो 30-40 साल भी लग गए हैं. कुछ तो इस प्रोसेस के बीच ही स्वर्ग सिधार गए हैं.
वैसे आप यूँ न समझियेगा कि सरकारी कचहरियों और संघर्ष का आलम भारत में आके ही उन्हें झेलना पड़ता है! जिस दिन एक पाकिस्तानी, बांग्लादेशी, अफ़ग़ानिस्तानी या किसी भी और देश का हिन्दू भारत में अपने भविष्य के बारे में सोचना शुरू करता है उस दिन से वह परेशानियों के दल-दल में धंसता चला जाता है.
इस पुरे आर्टिकल में पाकिस्तानी हिन्दुओं पर ज्यादा ज़ोर दे रहा हूँ क्योंकि भारत आ रहे हिन्दुओं में सबसे बड़ी तादात उन्ही की है. लेकिन ऐसी ही परिस्थितियों से दूसरे देशों से आये हिन्दुओं को भी गुज़ारना पड़ता है.
पाकिस्तानी हिन्दू को भारत में आने से पहले भी कईं तरह की यातनाओं का सामना करना पड़ता है. उन्हें पासपोर्ट के लिए धक्के खाने पड़ते है फिर भारत की वीसा के लिए तरह-तरह के जुगाड़ भी करने होते हैं. वहां के सरकारी अधिकारियों को सब मालूम होता है कि एक पाकिस्तानी हिन्दू का भारतीय वीसा के लिए दौड़ने का मतलब क्या है! इसलिए प्रताड़ित करने का अंतिम मौका समझ कर वहां भी उनको बक्शा नहीं जाता.
पाकिस्तानी हिन्दू परिवार भारत में आने से पहले अपने घर-बार-जमीन-जायदाद सब कुछ बेच कर आता है ताकि जब तक भारतीय नागरिकता नहीं मिल जाती तब तक यहाँ जैसे तैसे जीवन काट सके. जो गरीब हिन्दू हैं वे तो बस भगवान का नाम लेकर चले आते हैं. दिल्ली के ‘मजनूं का टीला’ इलाके में पाकिस्तान से आए लगभग 500 से भी अधिक हिन्दुओं की दयनीय स्थिति किसी से छिपी नहीं है. उनका कहना है “हम न पाकिस्तान के रहे न यहां के रहे. सोचा था कि यहां कि सरकार हमारा दर्द समझेगी, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ. हम अभावों में जीने को मजबूर हैैं.”
पाकिस्तानी हिन्दुओं के लिए अपने पुरखों की मेहनत का बसाया सब कुछ दूसरों को सौंप कर भारत आना एक सदमे की तरह होता है लेकिन वहां रह रहे उनके आस-पड़ोस के मुस्लिमों के लिए वह एक मौका होता है उनकी संपत्ति को कम से कम दाम में हथियाने का.
भारत में ये लोग विजिट वीसा पर आते हैं इसलिए आते ही उन्हें सबसे पहले कमिश्नर ऑफिस में LTV यानि लॉन्ग टर्म वीसा अप्लाई करना होता है. इस LTV की अवधि 5 साल की होती है. पहले ये 1 साल की हुआ करती थी. मोदी सरकार ने सत्ता में आते ही LTV की अवधि को बढ़ाया था. साथ ही सरकार ने उस कानून को भी ख़त्म किया जिसके हिसाब से पाकिस्तानी हिन्दू प्रवासी भारत की नागरिकता नहीं मिल जाने तक एक शहर से बहार नहीं जा सकते थे. आज ये लोग एक राज्य में कहीं भी आ-जा सकते हैं. और परमिशन लेकर दूसरे राज्यों में भी जा सकते हैं.
इसके बाद उन्हें भारत में कम से कम 7 साल LTV के बूते ही रहना होता है और बाद में वे भारत की नागरिकता अप्लाई करने के पात्र माने जाते हैं.
LTV के बूते पाकिस्तानी हिन्दू प्रवासी भारत में खेती, मजदूरी, कारखानों में कामकाज इत्यादि कर सकता है साथ ही उसे शिक्षा, आधार कार्ड और स्थाई आवास भी मिल सकता है.
बगैर नागरिकता के कैसे काम करते हैं पाकिस्तानी हिन्दू डॉक्टर्स?
LTV के बाद पाकिस्तान से आये हिन्दू डॉक्टर्स सबसे पहले किसी अस्पताल में इंटरव्यू देते हैं और यदि सब ठीक रहे तो अस्पताल के कुछ कागज़ातों के साथ वे MCI (मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया) को एक लेटर भेजते हैं जिसमे लिखा होता है कि हम पाकिस्तान से आये हुए हैं और फ़लाना अस्पताल में मेरा सिलेक्शन हुआ है.
इस लेटर के जवाब में MCI उन्हें सेवा करने की अनुमति देता हैं. इस अनुमति की वैलिडिटी फ़िलहाल 2 साल की है. मोदी सरकार के पहले 1 साल की हुआ करती थी. 2 साल बाद दोबारा लेटर लिख कर इस अनुमति को रिन्यू करवाना होता है.
इस बीच यदि मौजूदा अस्पताल में से किसी दूसरे अस्पताल में उन्हें जाना हो तो ये प्रक्रिया दोबारा करनी होती है.
MCI के अनुमति वाले लेटर में यह बात साफ तौर पर लिखी होती है कि फलाना पाकिस्तान से आया हिन्दू डॉक्टर फलाने अस्पताल में सिर्फ सेवा ही दे सकता है. व्यक्तिगत तौर पर डॉक्टरी का कोई काम नहीं कर सकता.
MCI की इस बात का सीधा फायदा भारतीय अस्पताल उठाते हैं और एवरेज से भी बहुत कम सैलरी उन्हें ऑफर करते हैं. चूँकि पाकिस्तान से आया हिन्दू डॉक्टर मजबूर हैं इसलिए उन्हें जो भी हो अपनी रोज़ी रोटी के लिए उस ऑफर एक्सेप्ट करना पड़ता है.
जैसा की मैंने पहले बताया, एक पाकिस्तानी हिन्दू प्रवासी को भारत में कम से कम 7 साल LTV के बूते ही रहना होता है और बाद में वे भारत की नागरिकता के पात्र माने जाते हैं. नागरिकता मिलने की प्रोसेस में कम से कम 3 – 4 साल का समय लगता है.
एक आम पाकिस्तानी हिन्दू प्रवासी की अधिकांश सरकारी समस्याओं का निवारण भारत की नागरिकता मिलने के बाद हो ही जाता है. उसके बाद वह भी अपने वाले फ्लो में आ जाता है. लेकिन पाकिस्तान से आये हिन्दू डॉक्टर्स की समस्या उनसे भी एक कदम आगे है.
जब तक उन्हें भारत की नागरिकता नहीं मिल जाती सब कुछ नार्मल चल रहा होता है लेकिन उनकी असल समस्या नागरिकता मिलने के बाद शुरू होती है.
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