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कुछ साल पहले उड़ता-उड़ता एक वीडियो मेरे हाथ लगा था. टाइटल कुछ यूँ था – “पाकिस्तान का वह इलाका जहां मुस्लिम नहीं करते ‘गौवध’ और हिन्दू रखते हैं ‘रोजे’.”

एक ओर जहाँ हम आए दिन, पाकिस्तान में रह रहे हिन्दुओं के प्रति घृणा और वैमनस्य की खबरें पढ़ते हैं ऐसे में, इस वीडियो का शीर्षक मुझे खूब दिलचस्प लगा. करीब दो-तीन मिनट के इस वीडियो को पूरा देख लेने के बाद मुझे जानकर खुशी हुई कि पाकिस्तान की जो छवि हमारे दिमाग में है, उसके उलट ‘मीठी’ एक ऐसा क़स्बा है, जहाँ हिन्दू 80% से ज्यादा हैं और बड़ी बात है कि यहाँ जुर्म और दंगे-फसाद पाकिस्तान के दूसरे इलाकों से बेहद कम है. यहाँ मुसलमान गाय नहीं काटते और हिन्दू मुहर्रम के समय शादी-ब्याह का जलसा नहीं करते. यहाँ के हिन्दू और मुसलमान एकदम शांतिमय तरीके से आपस में मिलजुल कर भाइयों की तरह रहते हैं और यहाँ धार्मिक असहिष्णुता की कभी कोई घटना नहीं होती. वीडियो में तो यहाँ तक दावा किया गया कि “मीठी का हिन्दू-मुस्लिम भाईचारा, हिंदुस्तान के लिए भी मिसाल हो सकता है.” और क्यों नहीं! जब मीठी का माहौल ही इतना मीठा हो तो बेशक हो सकता है!

लेकिन शुक्रवार को ‘मीठी’ से कुछ ऐसी खबर आई है जिसका स्वाद मीठी छवि को खट्टा कर सकता है!

पाकिस्तानी अख़बार द एक्सप्रेस ट्रिब्यून की रिपोर्ट के अनुसार शुक्रवार सुबह दिलीप कुमार और चन्दर माहेश्वरी, दो व्यापारी भाई जब अपनी दुकान का दरवाजा खोल रहे थे, तब कुछ बाइक सवार बदमाशों ने गोली मार कर उनकी हत्या कर दी. बाइक सवार बदमाशों ने पहले दोनों भाइयों से पैसे छिनने की कोशिश की और जब माहेश्वरी भाइयों ने उसका विरोध किया तो बदमाशों ने गोली मार दी.

स्थानीय पत्रकार सज्जिद बाजीर का कहना है कि, “वारदात के चार घंटे बीत जाने के बावजूद पुलिस का कोई भी वरिष्ठ अधिकारी घटना-स्थल तक नहीं पहुंचा.”

इसी वजह से गुस्साए हिन्दू व्यापारियों ने अपनी दुकानें बंद कर मुख्य सड़कों पर धरने पर बैठ गए.

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बॉर्डर के उस पार ही सही लेकिन इस जघन्य हत्याकांड की धमक भारत में भी सुनाई देना शुरू हो गई है. भारत का माहेश्वरी समाज इस घटना से खूब आहत है. माहेश्वरी समाज ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए कई विरोध प्रदर्शन किए और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नाम एक ज्ञापन सौंपते हुए भारत सरकार द्वारा अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर दबाव बनाकर, पाकिस्तान में बसे अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय की सुरक्षा सुनिश्चित करवाने की मांग की है.

बहरहाल, जहाँ हिन्दू-मुस्लिम इतने भाईचारे से रह रहे थे, वहां माहेश्वरी भाइयों की हत्या ने हिन्दुओं के भीतर डर का एक नया बीज बो दिया है और इसकी सुगबुगाहट इस्लामकोट, मिठी, नांगरपरकर, चचड़ो और अन्य क्षेत्रों में देखने को मिल सकती है!

बांग्लादेश से आई खबर भी कंपा देने वाली है!

बांग्लादेश एक ओर जहाँ रोहिंग्याओं को शरण देकर मानवता की मिसाल देने की कोशिश कर रहा है, वहीं हिन्दुओं के प्रति उनकी बेरुखी खोखले मानवतावाद की कहानी, स्पष्ट शब्दों में बयां करती है!

पाकिस्तान में माहेश्वरी भाइयों की हत्या के ठीक एक दिन बाद, बांग्लादेश से भी चौंका देने वाले आंकड़े सामने आये हैं.

Source: worldpoliticsreview.com

बांग्लादेश हिन्दू जातीय मोहाजोट ने शनिवार को ढाका में प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान एक रिपोर्ट साझा की, जिसमें 2017 के कुछ आंकड़े जारी किये हैं. इस रिपोर्ट के मुताबिक, 2017 में हिन्दू समुदाय के साथ करीब 6474 उत्पीड़न के मामले हुए हैं, जिनमें से 782 हिन्दुओं को देश छोड़ने के लिए मजबूर किया गया अथवा धमकी दी गई. लगभग 107 हिन्दू मारे गए हैं और 31 लापता हो गए हैं. 23 को धर्म परिवर्तन के लिए मजबूर किया गया. 25 हिंदू महिलाओं और बच्चों का बलात्कार किया गया, इसके अलावा 235 मंदिरों और मूर्तियों को विध्वंस किया गया.

पड़ोसी मुस्लिम बाहुल्य देशों में इस तरह की घटनाएं नई नहीं है, लेकिन जब देश में हिन्दूवादी पार्टी सत्ता पर काबिज हो, ऐसे में उनकी जिम्मेदारी बनती है कि वे देश के बाहर भी हिन्दुओं की सुरक्षा को सुनिश्चित करें! हम मानते है कि हिन्दू शरणार्थियों के लिए सरकार के प्रयास सराहनीय है, लेकिन इस समस्या का यह दूरगामी हल नहीं!