रावण दहन के मौके पर अमृतसर से एक दुखद खबर आई, दशहरा की शाम रावण दहन देखने हेतु जमा भीड़ को एक रेलगाड़ी ने कुचल दिया। घटना की जिम्मेदारी किसकी है यह पता लगाना तो भारत में सम्भव नहीं….क्योंकि सब अपना अपना पल्ला झाड़कर बचने की फिराक में लगे हैं।

इस हादसे में 60 अधिक लोगों ने जान गवां दी और 70 से अधिक घायल बताए गए। शाम को रावण दहन देखने के लिए लोग रेल की पटरियों पर खड़े थे तभी तेज रफ्तार ट्रैन के आने से यह हादसा घटित हुआ…मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने एक दिन का राजकीय शोक घोषित किया।जिस जगह हादसा हुआ वहां की तस्वीरें ऐसी हैं कि किसी का भी दिल दहल जाए। लोग लाशों के बीच अपने रिश्तेदारों को खोज रहे थे। हादसे पर रेलवे अपना पल्ला झाड़ रहा है और आयोजक अपनी गलती मानने को तैयार नहीं है लेकिन साठ से ज्यादा लोगों की मौत तो हुई है। कोई ना कोई तो इसका जिम्मेदार है? जिनकी मौत हो गई उन्हें तो वापस नहीं लाया जा सकता लेकिन अगर हादसे के दोषियों की पहचान कर उन्हें सज़ा नहीं दी गई तो ये एक बहुत बड़ा मजाक होगा।

इस हादसे में 60 अधिक लोगों ने जान गवां दी और 70 से अधिक घायल बताए गए। शाम को रावण दहन देखने के लिए लोग रेल की पटरियों पर खड़े थे तभी तेज रफ्तार ट्रैन के आने से यह हादसा घटित हुआ…मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने एक दिन का राजकीय शोक घोषित किया।

हम बात करते हैं कि भारत त्योहारों का देश है, हर महीने कोई न कोई त्यौहार मनाते हैं यहाँ के लोग…कुछ छोटे तो कुछ बड़े। लेकिन हम त्यौहार मनाने हेतु जो व्यवस्थाएं करते हैं वो कितनी सुरक्षित हैं? क्या हम पंडालों में सुरक्षा उपकरणों की व्यवस्था रखते हैं? क्या हम आयोजन स्थल पर महिलाओं की सुरक्षा हेतु कोई पुख्ता व्यवस्था मुहैया कराते हैं?

अमृतसर के इस आयोजन में मुख्य अतिथि रहीं श्रीमती नवजोत कौर सिद्धू जो पेशे से एक डॉक्टर हैं, ने इस आयोजन के व्यवस्थापकों से सुरक्षा इंतजामों का ब्यौरा मांगा? या श्रीमती सिद्धू ही क्यों उन तमाम लोगों को कटघरे में खड़ा करना है जो फीता काटने का शौक रखते हैं, शौक रखिये क्योंकि शौक बड़ी चीज है! परंतु क्या आपकी जिम्मेदारी नहीं बनती कि आयोजकों से स्थल की निकासी से सम्बंधित, अग्निशमन से सम्बंधित, महिलाओं की सुरक्षा से सम्बंधित जैसे तमाम तरह के इंतज़ामात को लेकर जानकारी मांगें!

आप भीड़ से लगाव रखते हैं, चुनावी सभाओं में, और तमाम तरह के कार्यक्रमों में चाह रहती है कि भीड़ बेहिसाब रहे परन्तु उसी भीड़ की समुचित व्यवस्था करने से कतराते हैं। आज उसी भीड़ का एक हिस्सा हादसे का शिकार हुआ है जिसे आप अपने स्वार्थों के लिए भगवान बना लेते हैं!

अब देश में ऐसे कानून की शख्त आवश्यकता है जिसमें उत्तदायित्व निश्चित हो सके। किसी भी आयोजन के आयोजक और उसमें शामिल गणमान्य व्यक्तियों को यह सुनिश्चित करना होगा कि सभी प्रकार की सुरक्षा व्यवस्था दुरुस्त है या नहीं! यदि नहीं है तो इस तरह के कार्यक्रमों से किनारा करना होगा। क्योंकि लोकतंत्र में यदि ‘लोक’ कल्याण निहित नहीं तो लोकतंत्र नहीं!

हम आपसे पूछना चाहते हैं कि यदि आप मुख्य अतिथि के रूप में किसी समारोह में सरीक होने जाते हैं तो आप आयोजकों से क्या चाहते हैं….क्या वे आपको अच्छी सेवाएं दें, आपकी सुख सुविधाओं का खयाल रखें या फिर जन मानस हेतु अच्छी निकासी की सुविधा, अग्निशमन की व्यवस्था या महिलाओं की सुरक्षा हेतु अतिरिक्त व्यवस्था या जब भीड़ ज्यादा बढ़ जाए तो क्या उपाय अपनाने हैं! क्योंकि हमारी नैतिक जिम्मेदारी बनती है कि इस तरह के सुरक्षा युक्तियों का ब्यौरा हम आयोजकों से मांगें!

आखिर क्या इंतज़ामात हैं जो हर आयोजन से पहले होने ही चाहिए ….

1. सबसे पहला तो यही कि आयोजन को सभी जरूरी विभागों से एनओसी मिला है या नहीं ?

2. वैसे तो पहले ही बिंदु में हो जाना चाहिए था परंतु ये भारत है इसलिए उस स्थल पर भीड़ के हिसाब से निकासी की समुचित व्यवस्था है या नहीं ?

3. अग्निशमन की दुरुस्त व्यवस्था है या नहीं ?

4. महिलाओं हेतु सुरक्षा के इंतजाम किए गए या नहीं ?

5. पर्याप्त पुलिस बल की तैनाती है या नहीं ?

जब भी आपको किसी कार्यक्रम के लिए बुलावा भेजा जाए तो कृपया आप उपरोक्त बिंदुओं की जानकारी अवश्य लें, आप अपनी जिम्मेदारी निभाएंगे तो आयोजक भी उत्तरदायी होंगे। इससे हमें उत्तरदायित्व निर्धारण में सहयोग मिलेगा और देश बदलाव की ओर अग्रसर होगा!


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