‘पत्रकार’ शब्द ही अपने आप में समझदार, बुद्धिजीवी, सजग और ईमानदारी को परिभाषित करता है। हो भी क्यों न, अरे भई पत्रकार आम जनता को समाज की सच्ची तस्वीर दिखाते हैं। अक्सर आपने टीवी, रेडियो या अखबारों में पत्रकारों को कई खबरों से रूबरू करवाते देखा होगा….जिनमें से कई भ्रष्टाचार, लूट-पाट, और कई खबरें तो चोरी की होती हैं, तथा पत्रकार महोदय हमको चोरों से सतर्क रहने के नुस्खे बताने हुए सतर्क रहने की नसीहत भी देते हैं….चोरी की एक खबर हम भी लाये हैं आपके लिए…..
यह खबर आई है लन्दन से। अंग्रेजी अखबार आउटलुक के अनुसार, यहाँ कुछ लोगों को चम्मच चुराते हुए पकड़ा गया। जी हाँ, एक चांदी की चम्मच। और सबसे मजेदार बात इसमें ये है कि चोर और कोई नहीं बल्कि पत्रकार हैं, जाने-माने वरिष्ठ पत्रकार। समझ सकता हूँ, आपके मन में कई विचार एकसाथ से आये होंगे…..
दरअसल, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के साथ एक आधिकारिक दौरे पर लन्दन गए कुछ वरिष्ठ पत्रकारों को वहाँ चम्मच चुराते हुए पकड़ा गया है। नहीं जी, हम कोई मज़ाक नहीं कर रहे….यह सच है। लन्दन के एक आलीशान होटल में, भारत से आये मेहमानों के लिए डिनर का इंतजाम किया गया था। होटल के सुरक्षा अधिकारी भी हैरानी में पड़ गए जब उन्होंने वीवीआईपी मेहमानों को सीसीटीवी में ऐसा करते देखा….इसमें कुछ पत्रकार चांदी की चम्मच चुराकर बैग में डाल रहे थे। और हैरान करने वाली बात तो यह कि चम्मच चुराने वालों में वरिष्ठ पत्रकार तथा सम्पादक भी शामिल हैं।
काफी लम्बे अर्से से कोहिनूर हीरे को भारत वापस लाने के मुद्दे पर सरकार को घेरने वाले पत्रकार, क्या चांदी की चम्मचें चुराकर भरपाई करने का इरादा रखते हैं?
पहले तो ये लोग चोरी से इंकार करते रहे परन्तु जब इन्हें वीडियो दिखाया गया तो इन बेशर्म पत्रकारों ने चोरी की बात कुबूली। खैर कुलभूषण जाधव को जासूस साबित करने के लिए जिस तरह भारतीय मीडिया के एक वर्ग ने अपनी एजेंडा सेटिंग थ्योरी के तहत खासी दिलचस्पी दिखाई थी, वह इन महानुभावों के नाम प्रकाशित करने में नहीं दिख रही! बंगाली न्यूज़ पोर्टल आज बांग्ला ने हिम्मत कर बंगाली भाषा के अख़बार आनंदबाजार पत्रिका और आजकल से कुछ चम्मच चोर पत्रकारों के नाम उजागर भी किये थे लेकिन कुछ देर बाद इस खबर को वेबसाइट से हटा लिया गया।

इस वितंडे के बाद हम गुरेज नहीं कर सकते कि मीडिया के गलियारों में उन उचक्के पत्रकारों के नामों की भनक नहीं है! लेकिन फिर भी उन नामों को दबाने की लगातार कोशिश हो रही हैं जिन्होंने आज देश की प्रतिष्ठा को शर्मशार किया है। अब देखने वाली बात है कि मुंबई धमाकों के वक्त जान की बाज़ी लगा कर अपनी पल-पल की अपडेट से पाकिस्तानी हुक्मरानों को फायदा पहुँचाने वाली टमटमिया मीडिया कब तक उन चम्मच चोर पत्रकारों को कोख में छिपाये घूमती फिरेगी !
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