पनामा पेपर्स की अगली कड़ी में पराडाईज पेपर्स लीक मामले में केन्द्रीय मंत्री जयंत सिन्हा के गले की फांस बनकर निकला है ओमिड्यार नेटवर्क (Omidyar Network). ओमिड्यार नेटवर्क ने अमेरिकी कंपनी डिलाइट डिजाईन की केमैन आइलैंड में मौजूद एक सब्सिडरी कंपनी में भारी भरकम निवेश किया है. वैसे भी ओमिदयार नेटवर्क कम विवादस्पद नहीं है .
क्या है ओमिदयार नेटवर्क
ओमिड्यार नेटवर्क एक निवेशक संस्था है जो कहती हैं कि हम उन संस्थाओं और उद्यमियों की मदद करते है जो अपना नया व्यवसाय शुरू करना चाहते है. ओमिड्यार के अनुसार अब तक लाखों लोगों को अपना बिजनेस शुरू करने के लिए आर्थिक मदद उपलब्ध करवाई है. ये नेटवर्क लाभकारी और गैर लाभकारी दोनों तरह के संगठनों को मदद करता है और कुछ खास फील्ड में ही निवेश करते जैसे शिक्षा, उभरती हुई तकनीक, फिनेंशियल इन्क्लुजन, गवर्नेंस और सिटिजन एन्गेजमेन्ट, प्रॉपर्टी राईट.
ओमिदयार नेटवर्क एक फाउंडेशन है जिसे अमेरिकी उद्यमी पियरे ओमिड्यार ने खड़ा किया है. पियरे ओमिड्यार नामचीन ई-कॉमर्स ईबे के मालिक है. ईबे दुनिया की बड़ी ऑनलाइन मार्केटिंग कम्पनियों में शुमार है. ईबे की सालाना कमाई हजारों करोड़ों में है. पियरे की पत्नी पाम ओमिदयार इस फाउंडेशन की सह-संस्थापक है. ओमिड्यार ने अपने इस तमाम निवेश का एक बड़ा हिस्सा सिर्फ फ्री मीडिया के नाम पर न्यू मीडिया (डिजिटल मीडिया) में निवेश किया हुआ है. इस ‘फ्री मीडिया’ के क्षेत्र में फॉउंडेशन ने पिछले कुछ सालों में करोड़ों का निवेश किया और आने वाले टाइम में इसे और बढ़ाने की तैयारी है. इस नेटवर्क ने भारत के मीडिया में काफी निवेश किया है. वेब आधारित मीडिया में अपना पैसा लगाने वाले ओमिड्यार ने स्क्रॉल डॉट इन, न्यूज़लॉन्ड्री जैसी प्रोपेगैंडा फैलाने वाली कई वेबसाइट्स में पैसा लगाया है. साथ ही वेटरन जर्नलिस्ट विनोद दुआ को पेश करने वाली वेबसाइट ‘द वायर’ ने भी अप्रत्यक्ष रूप से मदद ली है.
भारत में ओमिड्यार नेटवर्क की फंडिंग से चलने वाली तमाम प्रोपेगैंडा वेबसाइट्स पैराडाईज पेपर्स लीक मामले में नेटवर्क के खिलाफ लिखने से कन्नी काट रही हैं.
भारत में इस नेटवर्क से आर्थिक सहयोग लेने में एनजीओ, अलाभकारी संगठन, और स्वघोषित मीडिया संसथान है. अक्षरा फाउंडेशन, अनुदीप फाउंडेशन, और टीच फॉर इंडिया ओमिदयार नेटवर्क से ही वित्त पोषित हैं. ओमिदयार से पैसा लेने वालों में एक बड़ा नाम भारत में चुनाव और राजनैतिक सुधार को लेकर काम करने वाली संस्था एडीआर (एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स) भी है. एडीआर से जुडा एक बड़ा नाम रामचंद्र गुहा का भी है. ओमिड्यार नेटवर्क अप्रत्यक्ष रूप से भी अन्य संगठनों के माद्यम से भी मीडिया फंडिंग का करता रहा है. जिनमें एक ट्रस्ट, द इंडिपेंडेंट एंड पब्लिक स्पिरीटेड मीडिया ट्रस्ट (आईपीएसएमटी) है, जिसको 2015 में कुछ व्यावसायिक घरानों ने नए और इंडिपेंडेंट मीडिया संस्थानों को आर्थिक मदद के उद्देश्य से शुरू किया. उस वक्त कहा गया था कि यह ट्रस्ट भारत में स्वतंत्र और सामाजिक रूप से प्रतिबद्ध मीडिया उद्यमों को निधि देने में मदद करेगा और ये हम जानते हैं कि इस तरह की मदद लेने वाला मीडिया कितना स्वतंत्र होता है. दिलचस्प बात ये है कि ओमिड्यार नेटवर्क से लाभान्वितों की सूची में कुछ नाम ऐसे हैं जिनके नाम आईपीएसएमटी के ट्रस्टीज की सूची में भी है और रामचंद्र गुहा इनमें प्रमुख नाम है. ऐसे ही इंडियास्पेंड को नन्दन निलेकनी की पत्नी रोहिणी निलेकनी और ओमिड्यार ने फंड किए हुआ है. आईपीएसएमटी से द वायर को आर्थिक मदद मिलती रही है.
So Thiel agrees with Trump’s plan to muzzle press that criticizes government, obviously. That’s why he supports him? https://t.co/YsYFSV7emR
— Pierre Omidyar (@pierre) May 25, 2016
ओमिदयार नेटवर्क की वजह से यूक्रेन में संकट खड़ा हुआ
अपनी मीडिया में निवेश और उस पर खुद का वैचारिक नियन्त्रण की रणनीति से ओमिड्यार यूक्रेन की सरकार तक को गिरा देता है. न्यूज़ साईट पांडो की एक न्यूज़ रिपोर्ट के अनुसार ओमिड्यार नेटवर्क ने यूक्रेन में हुई सत्ता को उथल पुथल करने का में पूरी भूमिका निभायी है. साल 2013 यूक्रेन के राष्ट्रपति को पद से हटा दिया गया और हथियारबंद रूस समर्थकों ने यूक्रेन के क्रीमिया प्रायद्वीप में संसद और सरकारी इमारतों पर कब्ज़ा कर लिया. ओमिड्यार ने एक विषम राजनैतिक और भौगोलिक अस्तित्व के संकट से जूझ रहे देश में आक्रामक-नकारात्मक स्वतंत्र पत्रकारिता और अधिक पारदर्शिता के हथकंडो द्वारा एक देश की राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरे में डाला और साथ ही राजनैतिक संकट भी खड़ा किया जिसके चलते रशिया के तरफ़दार यूक्रेन के तत्कालीन राष्ट्रपति विक्टर यानुकोविच को पद से हटना पड़ा.
आखिर ओमिड्यार को भारत के मीडिया में पैसा लगाने में इतनी रूचि क्यों है?
तो इसका जवाब है कि फ्यूचर के मीडिया मतलब न्यू मीडिया को फंडिंग करके एक खुद का स्वतंत्र मीडिया खड़ा करे जो कोर्पोर्ट्स और पॉलिटिक्स की लोबिंग कर सके और ब्लैकमेलिंग के जरिये पैसा कमाया जा सके. ओमिड्यार फंडेड मीडिया राजनैतिक दलों और सरकारों के खिलाफ या पक्ष में प्रोपगेंडा कर के माहौल बनाने का काम करती रही है. ओमिड्यार की इस साल वेब और डिजिटल मीडिया के लिए करीब 250 मिलियन डॉलर के निवेश की योजना है.