वाईस मीडिया में महिला पत्रकारों के साथ हुए सेक्सुअल हैरसमेंट के कई मामलों के खुलासे के बाद इंटरनेशनल मीडिया इंडस्ट्री में हड़कंप मच हुआ है.

वाईस मीडिया (Vice media) डिजिटल मीडिया समेत टीवी नेटवर्क चलाने और एचबीओ को कंटेंट मुहैया कराने वाली कंपनी का दमदार कंटेंट आपने जरूर देखा होगा लेकिन जैसा कि नाम में ही छुपा हुआ इनका चरित्र है – immoral or wicked behavior. वाईस का हिंदी अर्थ बुराई, खोट, शरारत, दुराचार आदि होता है. अपने नाम के अनुरूप ही ये काम भी करते हैं. वाईस मीडिया जो एक पत्रिका के रूप में शुरू होकर 6 अरब डॉलर की मीडिया कम्पनी बनी. न्यूयॉर्क टाइम्स के ताजा खुलासे में ब्रुकलिन स्थित अरबों डॉलर की इस कम्पनी ने ऐसा माहौल बना रखा है कि महिलाओं को जबरन शारीरिक तौर पर अपमान की घटनाओं का सामना करना पड़ता है. एक तरफ जहाँ आज बात की जाती है, ऑफिस और वर्क-प्लेस पर महिलाओं की सुरक्षा और समानता की, वहीं दूसरी ओर ऐसी घटनाओं को देखकर लगता है कि महिलाओं को सुरक्षित और समानता पूर्ण वातावरण कोरी बातें भर हैं!

वाईस के लिए काम करने वाली महिला पत्रकार हेलेना डोनह्यू (Helena Donahue) ने खुलासा किया है कि उनके साथ यौन शोषण हुआ और उन्होंने साक्षात्कार में बताया कि फॉर्मर न्यूज हैड जेसन मोजेका ने हेलेना के साथ कंपनी पार्टी के दौरान उनके प्राइवेट पार्ट्स को छूने और दबाने की हरकत की. हेलेना ने वाईस मीडिया के सह-संस्थापक और मुख्य कार्यकारी शेन स्मिथ (Shane Smith) के खिलाफ ट्वीट कर कटघरे में खड़ा किया है.


हेलेना डोनह्यू (Helena Donahue), वाईस मीडिया की पूर्व पत्रकार

जो मीडिया आज महिला सशक्तिकरण का ढिंढोरा बीच चौराहे पर पीटती है, ये खबर उसी चौराहे से आई है. वाईस मीडिया की कई महिला कर्मियों ने इस बात का खुलासा किया है कि उनके साथ शारीरिक शोषण की घटनाएं हुईं. दो दर्जन से ज्यादा महिलाएं जिनकी उम्र बीस से चालीस साल के आसपास थी, उन्होंने बताया कि उनके साथ ऐसी घटनाएं हुई हैं या उन्होंने ऐसा होते हुए देखा है. द न्यूयॉर्क टाइम्स ने खोजबीन कर पता लगाया कि कम्पनी, जिसकी शुरुआत कनाडा में एक कट्टरपंथी पत्रिका के रूप में हुई, ने पहले भी इस तरह के चार मामले निपटाए. जिनमें अश्लील टिप्पणी, छेड़छाड़, और जबरन सेक्स जैसे मामले आये थे, इन मामलों में मौजूदा अध्यक्ष एंड्रयू क्रीइटन सहित तथा प्रबंधन के उप-पदों के कर्मचारी शामिल थे.

क्रेइटन, 45 , ने 2016 में एक पूर्व कर्मचारी को $ 135,000 का भुगतान किया, क्योंकि उसने दावा किया था कि उसे निकाल दिया गया जब उसने सेक्स संबंध बनाने से इनकार कर दिया था. वाइस ने हालाँकि इन आरोपों को ख़ारिज कर दिया और कहा कि महिला ने कार्यकारी के साथ यौन संबंधों को शुरू किया और अपनाया.

इसी तरह पिछली जनवरी में वाईस ने लंदन कार्यालय की एक पूर्व पत्रकार जोआना फुएरटियस नाइट के साथ 24,000 डॉलर्स का समझौता किया, पत्रकार का कहना था कि वह यौन उत्पीड़न, नस्लीय, लिंग भेदभाव और धमकाने का शिकार हुआ, नाइट का दावा है एक वाईस प्रोड्यूसर रीस जेम्स ने स्तन के रंग के बारे में पूछा और क्या वह कभी किसी काले व्यक्ति के साथ सोई है? इसी तरीके से कई नस्लवादी और अश्लील फब्तियों की शिकार हुई है.


जोआना फुएरटियस नाइट, फॉर्मर जर्नलिस्ट, वाईस मीडिया

एक पूर्व वाइस पत्रकार एबी एलिस ने कहा कि 2013 में, उन वाइस डाक्यूमेंट्री प्रोडक्शन को लीड करने वाले जेसन मोजेका ने उसे इच्छा के विरुद्ध चुंबन करने की कोशिश की और इससे बचने के लिए अपने छाते से वार किया.

खुलेपने के लिए बौराये हमारे मीडिया के लिबरल अड्डे आने वाले समय में रोने को हैं

भारत में The Viral Fever , ये भी उस तथाकथित खुलेपन के बेहतरीन वकीलों में शुमार हैं, TVF की एक पूर्व महिला कर्मी ने निर्माता अरुणाभ कुमार पर छेड़छाड़, अवांछित स्पर्श और यौन शोषण के आरोप लगाए थे. इसके समर्थन में फिर कई और महिलाओं ने भी आवाज उठाई थी. इसी साल स्कूपव्हूप (scoopwhoop) के सात्विक मिश्रा और सुपर्ण पांडेय पर सेक्सुअल हरैसमेंट के आरोप लगे.

तहलका डॉट कॉम के पूर्व सम्पादक तरुण तेजपाल जो कि पत्रकारिता की दुनिया में काफी बड़ा नाम हुआ करते थे, उन्हीं की संस्था में काम करने वाली महिला कार्यकर्ता ने उनपर नवम्बर 2013 में यौन शोषण का आरोप लगाया. आरोप सिद्ध हुए और जनाब को जेल भी जाना पड़ा. अच्छी खासी बहस हुई थी, खबरिया नुक्कड़ों पर गर्मागर्म चर्चाएं भी हुई थी.

अभी कुछ समय पहले social media पर एक आंदोलन चलाया गया था #MeToo जिसमें इसी तरह के कई सारे बाकिये सामने आए. Metoo (मी टू) कहने को तो यह सिर्फ दो लफ्ज हैं लेकिन फिल्म अभिनेत्री टिस्का चोपड़ा, मल्लिका दुआ, रिचा चड्डा और फिल्म अभिनेता इरफान खान सहित लाखों लोगों ने इन्हीं दो लफ्जों के जरिए अपने साथ हुए यौन शोषण की आपबीती बेबाकी के साथ सुना दी. 

भारतीय परिपेक्ष्य में यह मुद्दा काफी महत्वपूर्ण है क्योंकि भारत में आजकल ऐसे लिबरल अड्डों की संख्या काफी बढ़ रही है. बहुत लंबी फेहरिस्त है ऐसे लिबरल अड्डों की जो अत्यधिक खुले समाज की वकालत करते हैं. परन्तु इसमें गौर करने वाली बात यह कि जब यही बेलगाम खुलापन इस तरह की यौन शोषण, शारीरिक छेड़-छाड़ तथा पार्टियों में अवांछित गतिविधियों तक पहुंचता है तो इसका जिम्मेदार कौन होगा? 

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