डिजिटल मीडिया लोकतंत्र का पाँचवा स्तम्भ बनने से पहले ही मिलावटी साबित हो रहा है
लोकतंत्र के स्वघोषित खम्भे के लिए काम में ली गई सीमेंट और कॉन्क्रीट नकली साबित हो हो रही है. हम बात कर रहे हैं वेब मीडिया की जो लोकतंत्र का पांचवा स्तम्भ कहे जाने की जद में लगा हुआ है. वैसे तो पारंपरिक मीडिया जिसको चौथा स्तम्भ कहा जाता है वो भी औपचारिक तौर पर कोई स्तम्भ नहीं है. अब स्वघोषित तो कोई कुछ भी बन सकता है फिर यहाँ तो एक्सक्लूसिव खबरों की दुकानें हैं. इन दिनों देश में कुछ बड़े वेब मीडिया बाहरी प्रभाव के चलते झूठ और भ्रम फैलाने का काम कर रहे हैं, तो सरकार ने भी इन पर शिकंजा कसने की तैयारी कर ली है.
हाल ही में संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान केन्द्रीय सूचना प्रसारण राज्यमंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौड़ ने एक प्रश्न के जवाब में कहा है कि सरकार मीडिया संस्थानों के आचरण को लेकर गंभीर है, पिछले तीन साल में मीडिया संस्थानों के बारे में मिली शिकायतों के निपटारे के फलस्वरूप भारतीय प्रेस परिषद ने नियम विरुद्ध आचरण करने का दोषी मानते हुए 61 समाचार पत्रों को कड़ी फटकार लगायी है. कर्नल राठौड़ ने साथ ही वेब मीडिया के लिए भी साफ़ हिदायत दी कि किसी भी प्रकार की भ्रामकता फ़ैलाने पर सख्त कदम उठाये जायेंगे. उन्होंने इस भाषण में भ्रामक विज्ञापनों पर भी कार्यवाही प्रभावी करने की बात कही.
आपको बता दें कि ‘साबुत भारत के टुकड़े टुकड़े वाली टुकड़ी’ को सपोर्ट करने वाले, हमदर्दी रखने वाले खबरिया पोर्टल्स कुछ आर्थिक शक्तियों के प्रभाव से धड्ल्ले झूठ परोसते हैं. खबरों को अपने हिसाब से एंगल देने में इन्हें महारथ हासिल है. ये देश की अस्मिता को चोट पहुँचाने वाले देश की अखंडता और एकता को तोड़ने वाले मुद्दों को बौद्धिक आवरण में लपेटकर उन्हें खुला समर्थन देते हैं और असंवैधानिक मसलों को बढ़ावा देते हैं. ये कभी देश की सेना की सर्जिकल स्ट्राइक पर सवाल उठाते हैं तो कभी किसी धर्म या विचारधारा के खिलाफ झूठ फैलाते हैं. इस समय देश में कई ऐसे वेब पोर्टल काम कर रहे हैं जो जिनकी हर रिपोर्ट किसी का खास एजेंडा पर आधारित होती है और इसे पूरा करने के लिए ये खास प्रोपगेंडा फैलाते हैं.
द क्विंट नाम के एक पोर्टल ने हाल ही में पाकिस्तान की जेल में बंद कुलभूषण जाधव को भारतीय जासूस करार दिया. जिसके लिए उनके प्रेमी मुल्क पाकिस्तान ने खूब प्रसंशा की. लेकिन साथ ही भारत में सरकारी डंडा पड़ने के डर से द क्विंट ने इस न्यूज़ को हटा दिया.
साफ है कि कर्नल राठौड का इशारा इन्हीं की ओर है.