मेरी ‘रूह अफजा’, ये ‘दर्द-ए-इश्क’ भरा खत मंजूर करना : तुम्हारा ‘आशिक पत्रकार’ by अभिषेक सिंह राव 2 years ago2 years ago सही पकडे हैं
जब अख़बारों को लगने लगे कि वे कहानी से ज्यादा महत्वपूर्ण हैं, तो पत्रकारिता को नुकसान होता है by अभिषेक सिंह राव 2 years ago7 months ago समर्थन में
बलात्कार के मामलों में न्याय दिलाने के लिए मध्यप्रदेश सुर्ख़ियों में क्यूँ नहीं होना चाहिए! by मानव शुक्ला 3 years ago3 years ago