श्रीमान,
मुख्य कार्यकारी अधिकारी मानवाधिकार आयोग
मानवाधिकार आयोग, मानवाधिकार भवन, ब्लॉक-सी, जी.पी.ओ. काम्प्लेक्स, आई.एन.ए., नई दिल्ली – 110023,
विषय :- आपका ध्यान कासगंज में हुई चन्दन नामक युवक की हत्या की घटना की ओर केंद्रित करने बावत!
महोदय,
मैं स्वतंत्र भारत का एक स्वतंत्र और सजग नागरिक। आपका ध्यान कासगंज में हुई 26 जनवरी, 2018 की घटना की ओर केंद्रित करना चाहता हूँ, शायद आपको अखबारों और न्यूज चैनलों के माध्यम से ज्ञात हो गया होगा कि कुछ युवक गणतंत्र दिवस के उपलक्ष्य में मोटरसाइकिल रैली निकाल रहे थे, तिरंगा यात्रा नाम दिया था इसको। यह रैली जब कासगंज के मुस्लिम बाहुल्य इलाके से होकर गुजरी, तब मुस्लिम समुदाय के युवकों से विरोध और झगड़े के स्वर उठे।
बात यहाँ तक बढ़ गयी कि मारपीट, पथराव और गोली बाजी भी हुई, परिणामस्वरूप एक युवक, जिसका नाम चन्दन गुप्ता है, की मृत्यु हो गयी।घटना के बाद प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मामले में प्रशासन को उपद्रवी तत्वों से सख्ती से निपटने के निर्देश दिए हैं। इसके साथ ही दोनों पक्षों से शांति व सद्भाव बनाए रखने की अपील की है। सीएम ने दो पक्षों के विवाद में एक शख्स की मृत्यु पर गहरा शोक व्यक्त करते हुए प्रशासन से पीड़ित परिवार की हर संभव मदद करने के निर्देश दिए हैं।
एक आम नागरिक की तरह मैं भी इस बात से खूब आश्वस्त हूँ कि मानवीयता के मसलों पर संस्थागत तरीके से आप आगे बढ़कर हस्तक्षेप करते हैं. हाल ही आपने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सरकार को एनकाउंटर्स को बढ़ावा देने के लिए तलब किया था. आपको याद होगा, पिछले समय में कुछ मुद्दे जैसे –
दादरी में अखलाक की मौत के बाद किस तरह से राजनीतिक दल गिद्ध बनकर टूट पड़े थे और अल्पसंख्यक आयोग के संज्ञान लेने बावजूद आयोग के तत्कालीन अध्यक्ष जस्टिस जोसेफ ने मैक्सिको यात्रा पर रहते हुए अपने कार्यालय को इस मामले को संज्ञान में लेने के लिए पूछा और मानवीय अधिकारों के घोर उल्लंघन समझते हुए कुछ न कुछ उचित कदम उठाने को भी कहा था. ऐसे ही, आपने हैदराबाद सेन्ट्रल यूनिवर्सिटी में रोहित वेमुला की आत्महत्या के मामले में हंगामा कर रहे छात्रों को गिरफ्तार करने पर स्वत: संज्ञान लेते हुए तेलंगाना सरकार के सचिव, मानव संसाधन मंत्रालय और पुलिस कमिश्नर को नोटिस भी थमा दिया था. अलवर में बहुचर्चित कथित गौ-गुंडों की गुंडागर्दी से पहलू खान की हत्या पर सुओ-मोटो लेते हुए सरकार ‘एक्शन टेकन रिपोर्ट’ मांगी थी. ऐसे ही आपकी कर्मठता देखने को मिली तब रेल से सफर करते वक्त जुनैद की हत्या पर हरियाणा सरकार के साथ साथ रेलवे को भी नोटिस जारी कर जबाब माँगा था. यहाँ तक कि बांग्लादेश से आये घुसपैठियों के भी अधिकारों की बात आपने रखी, बल्कि सरकार के भी विरोध में आ गए जबकि खुफिया एजेंसियों का साफ कहना था कि रोहिंग्या घुसपैठिए राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा हैं!
महोदय, बर्बर साम्प्रदायिकता की भेंट चढ़े साधारण परिवार से ताल्लुक रखने वाले सामाजिक सरोकार परक चन्दन गुप्ता की मौत के लिए कोई गुहार नहीं लगाएगा, ना ही कोई ‘नॉट इन माय नेम’ के लिए भी भीड़ जुटाएगा, क्यूँकि देख रहा हूँ सबका दोहरा रवैया। उस बेचारे चन्दन का कसूर सिर्फ तिरंगा थामना था, वन्देमातरम का नारा लगाना ही था, उसकी माँ का रो-रो कर बुरा हाल है, उसके पिता कह रहे हैं, मेरे बच्चे के साथ जो हुआ वो किसी और के बच्चे के साथ ना हो. आप मनुष्यों के अधिकारों और हितों की रक्षा के लिए काम कर रहे हैं, हमें इस बात का गुरेज भी नहीं है कि पिछले समय में आप राजनैतिक तौर पर प्रभावित होकर जब बात हिन्दू अल्पसंख्यकों या पीड़ितों की आती थी तो आप बदले बदले से क्यूँ हो जाते थे. आज तीसरा दिन है और मानवाधिकार आयोग चुप्पी साधे हुए है, क्या सिर्फ इसलिए कि मरने वाला हिन्दू था, या फिर सिर्फ इसलिए कि मारने वाला मुस्लिम था!
अब आप कहेंगे कि हम इस मामले को सांप्रदायिक रंग दे रहे हैं, जी हाँ क्योंकि यह पूरे मामले की जड़ में है! तिरंगा यात्रा से किसी भी भारतीय को क्यों परेशानी होगी? क्यों कोई भी भारतीय गणतंत्र दिवस की तिरंगा यात्रा का विरोध करेगा?…..खैर कुछ भी हो, हमारा सरोकार तो मानवाधिकार आयोग से है……
इस मामले में मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष से हमारा सीधा, सटीक, साफ और बेबाक प्रश्न है और हमें विश्वास है कि आप रिएक्ट करेंगे, हम उस क्षण के समाचार की प्रतीक्षा कर रहे हैं, उम्मीद है आप लचर रवैया नहीं अपनाएंगे।
हम मानवाधिकार आयोग से सिर्फ इतना जानना चाहते हैं कि आपकी कार्यप्रणाली समझाने की कृपा करें, और आप किसी मुद्दे को संवेदनशील समझते या नहीं, यह किस आधार पर तय करते हैं? भारत के एक आम नागरिक के मन में उठे प्रश्न हैं, उम्मीद करता हूँ कि मानवाधिकार आयोग इन प्रश्नों के उचित एवं परिपक्व उत्तर देगा।
प्रार्थी
एक साधारण और सजग नागरिक