देश में कुछ लोग कथित दलितवाद के नाम पर हिंदुत्व के लिए घिन समेटे हुए जी रहे रहे हैं … घिनौनी उल्टियां कर बुद्धत्व की ठेकेदारी में चरमपंथी बन बैठे हैं.
पिछले शुक्रवार की रात कांचीपुरम रेलवे स्टेशन की तोड़-फोड़ करने वाले युवाओं के एक समूह ने मंदिर नगर के आसपास काफी तनाव पैदा कर दिया. कथित तौर पर पेरियार द्रविड़ कज़गम, विदुताई चिरुथालिक काची (VCK) और माओवादियों के एक गुट ने रेलवे स्टेशन को तोड़ दिया और रेलवे स्टेशन में चित्रित आदि शंकराचार्य, रामानुजाचार्य और कांची कामचुकी मंदिर की पेंटिंग को नुकसान पहुंचाया. मौके पर कोई पुलिसकर्मी नहीं होने की बजह से असामाजिक तत्वों को पर्याप्त समय मिला, इस काम को अंजाम देने के लिए.
विदुताई चिरुथालिक काची के नेता ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर इसे पोस्ट कर इस घटना की जिम्मेदारी लेते हुए कहा कि यह हमने ही किया है और हम सभी सार्वजनिक जगहों से हिंदुत्व के प्रतीकों को हटा देंगे तथा धीरे-धीरे हम हिन्दू धर्म को भी देश से निकाल देंगे. यह पोस्ट तमिल भाषा में की गई थी. दक्षिणी रेलवे के सूत्रों के मुताबिक, भारत सरकार द्वारा घोषित तीर्थयात्रा पर्यटन के हिस्से के रूप में रेलवे स्टेशन को पुनःनिर्मित किया गया और पुनः चित्रित किया जा रहा है. “कांचीपुरम और वेलांकनी रेलवे स्टेशनों को इस कार्यक्रम के अंतर्गत पुनः निर्मित किया जा रहा है. भाजपा के प्रवक्ता के.टी. राघवन ने कहा- “जब वेलंंकन्नी स्टेशन प्रसिद्ध चर्च के चित्रों को प्रदर्शित किया सकता है तो कांचीपुरम स्टेशन पर श्री आदि शंकराचार्य, रामानुजाचार्य और मंदिर की पेंटिंग होना क्या सांस्कृतिक रूप से उचित नहीं है.”
हिंदू मक्कल काची के नेता अर्जुन संपत ने इस तरह की वारदात की निंदा की और आरोप लगाया कि यह विदुताई चिरुथालिक काची के नेता थिरुमावलवन देश के सभी मंदिरों को ध्वस्त करने के लिए अपने सहयोगियों द्वारा किए गए निरंतर प्रोत्साहित कर रहे हैं. थिरुमावलवन लगातार कट्टरपंथी गतिविधियां करते रहते हैं. संपत ने कहा, “अपने अनुयायियों के आह्वान के बाद हिंदुओं के धार्मिक स्थानों पर हमलों में वृद्धि हुई है.” उन्होंने कहा कि आदि शंकराचार्य, रामानुजाचार्य और कामाक्षी मंदिर की पेंटिंग को कांचीपुरम के सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व को ध्यान में रखते हुए स्टेशन में प्रदर्शित किया गया. उन्होंने कहा, “पास में नागुर रेलवे स्टेशन में दरगाह की एक चित्रकारी भी है.”
पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है और पेंटिंग को दुरुस्त करने के प्रयास चल रहे हैं.
शायद इन जनाब के दिमाग में है कोई कैमिकल लोचा!
यह पहला मामला नहीं है, इससे पहले भी थिरुमावलवन के कई हिन्दू विरोधी घिन भरे हुए बयान और गतिविधियां सामने आते रहे हैं. पेरांबूर में एक ‘दलित-मुस्लिम पुनरुत्थान सम्मेलन’ को संबोधित करते हुए, थिरुमावलवन ने आरोप लगाया कि बुद्ध विहारों को तोड़ने के बाद सभी शिव और पेरुमल (विष्णु) मंदिरों का निर्माण किया गया था. “हिंदुओं ने शिव और पेरुमल के मंदिरों के निर्माण के लिए बुद्ध विहारों को नष्ट कर दिया है … अब एक बोध विहार बनाना चाहिए जहां रंगनाथर सोता है (श्रीरंगम). कांची कामाक्षी मंदिर को तोड़ने के बाद एक और विहार का निर्माण किया जाना चाहिए.”
क्या इस तरह के बयान सहिष्णुता का स्तर बढ़ाते हैं? क्या ऐसी बद-बयानी सामाजिक अखण्डता को सुदृढ़ करती है? नेता जी के ऐसे कट्टरपंथी बोल भाईचारे को बढ़ाते हैं?…..शायद अच्छे ही होंगे इनके बयान, वरना ISIS या लश्कर-ए-तैयबा जैसे संगठन आंतकी क्यों कहलाते? हाफिज सईद भी अच्छा बोल लेता है धार्मिक सदभाव और समभाव पर। हाँ, दुईठो शंका हैं मन में, कि जब थिरुमावलवन जैसे राजनेता हैं इहाँ, तो क्या हम भारत में हाफिज का उत्तराधिकारी घोषित कर सकते हैं? क्या हम हाफिज सईद को इसबार शांति के नोबेल के लिए पुरस्कृत नहीं कर सकते?