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कुमार विश्वास की एक कविता की एक पंक्ति – “अभी तक डूब कर सुनते थे सब किस्सा मोहब्बत का, मैं किस्से को हकीकत में बदल बैठा तो हंगामा!”

गोल्डन ग्लोब पुरस्कार विजेता कॉमेडियन और लेखक अजीज अंसारी पर यौन दुर्व्यवहार का आरोप हैं। एक महिला ने आरोप लगाया है कि वह पिछले साल अजीज के साथ डेट पर पर गई थी और वह डेट अजीज के घर पर जाकर खत्म हुई, जहाँ अजीज ने उस लड़की के साथ न सिर्फ अश्लील रवैया इख्तियार किया बल्कि शारीरिक रूप से प्रताड़ित भी किया।

Babe.net में छपे एक लेख, जिसमें 23 वर्षीय फोटोग्राफर की आपबीती है, जिसे उसका नाम न छापने की शर्त पर केवल “ग्रेस” नाम दिया गया है। अजीज ने अपने पहले चुंबन के कुछ मिनटों में ही उस लड़की से कहा कि वह कॉन्डोम लेने जा रहे हैं। लड़की ने कहा कि “मैं मजबूर महसूस नहीं करना चाहती” इसके बाद अजीज खुद को शांत दिखाने की कोशिश करता हुआ कहता है – “ओह, बिल्कुल, यह मजेदार है अगर हम दोनों मजे कर रहे हैं”। लेकिन फिर बाद में उसने कथित तौर पर उस पर एक यौन कृत्य करने के लिए प्रेरित किया, बाद में उसे बार-बार पूछते हुए कहा: “आप मुझे कहाँ ***** चाहती हैं?”

आपने गौर किया होगा कि आजकल इंटरनेट और टीवी की दुनिया में ऐसे शोज की भरमार है जहाँ खुलापन, गाली-गलौज इतना बढ़ चुका है कि ये कॉमेडी के नाम पर अश्लील और फूहड़ सामग्री परोसते हैं। आपका वैचारिक खुलापन होना जरूरी है…..परन्तु आप खुलेपन को सिर्फ व्यावसायिक बनाये घूम रहे हैं। मल्लिका दुआ और अक्षय कुमार वाला वाक़या तो याद ही होगा आपको….मल्लिका दुआ के शोज जिसने भी देखे हैं उनके लिए यह घटना सिर्फ एक मजाक थी क्योंकि एक ओर मल्लिका अपने शोज अश्लील और डबल मीनिंग शब्दों का जमकर प्रचार-प्रसार और समर्थन करती दिखती हैं तो वहीं दूसरी ओर अक्षय कुमार के कुछ मजाकिया शब्द उनको बहुतई आहत कर जाते हैं।

कई ऐसे मंच आज इंटरनेट पर मौजूद हैं जो गाली और अश्लील शब्दों को खुलेआम परोसते हैं और जवाब तलब करने पर दुहाई देते हैं वैचारिक खुलेपन की। कहते हैं कि इस तरह की बातें खुलेआम करने से दिमागी गन्दगी नहीं फैलती, तो मैं पूछता हूँ कि अगर ऐसा था तो अरुणाभ कुमार (टीवीएफ) तो आप सबके बॉस थे, उनके विचार तो सबसे पहले शुद्ध होने चाहिए थे…..! लेकिन नहीं अरुणाभ कुमार पर अश्लीलता और यौन दुर्व्यवहार के आरोप लगे थे जिसके बाद उन्हें इस्तीफा देना पड़ा। और सबसे मजेदार बात यह कि अश्लीलता को परिपक्वता से जोड़ने वाले ये लोग ढंग का एक प्रेस स्टेटमेंट्स भी नहीं दे पाए। स्टेटमेंट्स देने में ढंग के शब्दों का भी प्रयोग नहीं कर पाए…..फिर सवाल उठना लाजमी है कि क्या आपकी परिपक्वता सिर्फ किसमिस और चिरोंजी तक ही सीमित है?

जाहिर है कि आप सुबह से शाम तक इसी तरह की भाषा और विचारों पर काम करते हैं, दो कौड़ी की भाषा और दो कौड़ी के ही विचारों पर ही आप दिन का बड़ा हिस्सा बिता रहे हैं तो इसमें कोई दो राय नहीं कि आपकी मानसिकता कहीं न कहीं उन्हीं विचारों के इर्द-गिर्द घूमेगी और जब भी आप अकेले होंगे और मौका मिलने पर उन विचारों को अमलीजामा भी पहनाने से आप चूकेंगे नहीं….अजीज अंसारी और अरुणाभ कुमार भी ऐसे ही विचारों को प्रेक्टिकल करना चाहते थे!

अजीज अंसारी भी एक कॉमेडियन है, और मॉडर्न रोमांस नाम की किताब भी लिखी है इन्होंने। इस किताब में आपको आज के दौर के रोमांस के बारे में अजीज के अज़ीज विचार पढ़ने को मिलेंगे और अजीज के व्यक्तित्व को भी जानने का मौका मिलेगा…..अक्सर पर्दे पर खुली सोच और महिला सशक्तिकरण की बात करने वाले कॉमेडियन पर्दे के पीछे जाते ही अपने ही विचारों का प्रैक्टिकल करने लग जाते हैं, जो कि अति से भी अधिक अश्लील हैं।

अजीज पर लगे आरोपों की सत्यता तो पुख्ता जाँच के बाद ही सामने आएगी परन्तु आजकल जो माहौल बनाया जा रहा है वह कितना न्यायसंगत है? आप एक ओर कॉमेडी के नाम पर समाज में इस तरह का घटिया कंटेंट परोस रहे हो, लोगों को हिदायत दे रहे हो खुले विचारों की……दूसरी ओर आप खुद इतना नीचे गिरते जा रहे हो!

आप परिपक्व हैं तो….सन्तुलन की बात क्यों नहीं करते? हर बात की अति पर क्यों पहुँच जाते हैं? आखिर क्यों और किस बात का उताबलापन?……किसी भी स्तर पर सन्तुलन की बात क्यों नहीं करते आप लोग?

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