Winston Churchill

जनवरी 2015, जस्टिस काटजू ने बरतानिया हुकूमत के महानतम(कथित) प्रधानमंत्री विन्सटन चर्चिल के एक बयान का हवाला दिया था. चर्चिल ने भारत को आज़ादी मिलने ठीक 5 महीने पहले ब्रिटेन की संसद में कहा था कि “सत्ता दुष्टों, बदमाशो और लुटेरो के हाथो में चली जाएगी. भारत के सभी नेता ओछी क्षमता वाले और भूसा किस्म के व्यक्ति होंगे. उनकी ज़बान मीठी होगी लेकिन दिल निकम्मे होंगे. वे सत्ता के लिए एक दुसरे से लड़ेंगे और इन राजनितिक झड़पों में भारत का खातमा हो जाएगा. एक दिन आएगा जब भारत में हवा और पानी पर भी टैक्स लगा दिया जाएगा.”

विन्सटन चर्चिल के इस बयान को जब आज हम दुबारा पढ़ते हैं तो ऐसा लगता हैं मानो कोई भविष्यवाणी थी जो 70 साल बाद क्या होने वाला हैं उसकी हुबहू तस्वीर पेश कर रहा हों. मानो यह तस्वीर पहले ही खीच ली गई हों और सबके सामने दिखाई भी जा रही हों.

चर्चिल की उस किवदंती के मायने क्या थे, यह किस परिपेक्ष में कहा गया था यह समझना उतना आसन नहीं जितना की पढ़ते हुए लग रहा हैं. बुद्धिजीवी आज भी कहते फिरते हैं कि, चर्चिल उस बयान के दौरान दुखी था क्योकिं उसके मुताबिक सोने की चिड़िया को लूटना अभी और बाकि था.  काटजू को न्यायपालिका का दिग्विजय सिंह बनने से पहले चर्चिल के दुसरे बयानों को भी खंगाल लेना चाहिए था. आज़ादी नहीं देने के सन्दर्भ में चर्चिल की ये बाते दूर से तो देखने में हितावह लगती हैं लेकिन भारत के इतिहास में उससे बड़ा विषैला कोई ब्रिटिशर रहा नहीं होगा.

चर्चिल ने भारत के प्रति अपनी पैशाचिक सोच के तहत कहा था कि, “मैं भारतीयों से नफरत करता हूँ. वे जानवरों जैसे धर्म के साथ जानवरों जैसे लोग हैं.”

इतिहासकार लेखिका मधुश्री मुखर्जी ने अपनी किताब में चर्चिल्स सीक्रेट वॉर में दावा किया था कि, 1943 में बंगाल का अकाल कोई आपदा नहीं बल्कि चर्चिल की सोची, समझी और प्रायोजित साजिश थी. जिसमें लगभग 30 लाख लोगों ने भूख से तड़पकर अपनी जान गंवाई थी.

साथ ही उसने महात्मा गांधी के मरने की ख़वाहिश की थी और उनके लिए ‘अधनंगा फकीर’ जैसे तुर्शी भरे शब्दों काभी उपयोग किया था.

इसके साथ साथ चर्चिल बरतानिया हुकूमत का वो नासाज प्रधानमंत्री रहा जिसने हर काम, हर बयान, हर शक्श को धार्मिक नजरिये से तोला. उसकी तासीर में हिन्दू सबसे बेईमान थे जबकी मुसलमान विश्वासपात्र और शूरवीर थे. लंदन में सोवियत राजनयिक इवान मिखाइलोविच मास्की को उसने कहा था कि, “अंग्रेजो को भारत छोड़ने के लिए मजबूर करना चाहिए. क्योकि इसके बाद आख़िरकार मुसलमान मालिक बन जाएँगे क्योकिं वे योद्धा हैं जबकि हिन्दू विन्ड्बैग (मात्र बात करने वाले) हैं. हिन्दू सिर्फ सटीक भाषणों, कुशलता से संतुलित प्रस्तावों और हवा में महल बनाने की बाते करने में एक्सपर्ट हैं!

उसने हमेशा से मुसलमानों के विश्वास की प्रशंसा की और हिन्दुओ को नकारा साबित करने की कोशिश की. उसने दुसरे विश्व युद्ध के दौरान तत्कालीन अमरीकी प्रेसिडेंट रुज़वेल्ट से झूठ बोला कि भारतीय फ़ौज में बहुसंख्य मुसलमान हैं, जबकि वास्तव में  बहुमत हिंदू थे.

चर्चिल अंग्रेजो की फूट डालो और राज करो निति का सबसे बड़ा हिमायती था. उसने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलनों में जानबूझकर हिंदुओं और मुसलमानों के बीच फूट डालने के प्रयास कियें. जिसके बाद पाकिस्तान जैसा विनाशकारी परिणाम बहार आया. साथ ही उसने उम्मीद बांध रखी थी कि, बंटवारे के बाद भी पाकिस्तान ब्रिटेन के प्रभाव क्षेत्र में ही रहेगा!

इतना सब होते हुए भी 2015 में तत्कालीन ब्रिटिश प्रधानमंत्री डेविड केमरोंन ने चर्चिल की हिटलरवादी छवि पर कालिख पोतते हुए “सबसे महानतम प्रधानमंत्री” करार दिया था.

2015 के साल में यही कमरोंन ने “ब्रिटेन को हिंदू धर्म से प्रेरणा लेने की जरूरत” बताया था. वही हिन्दू धर्म जिसको उनके “सबसे महानतम प्रधानमंत्री” विन्सटन चर्चिल गालिया देते थे.


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